देश मे एक तबका मुस्लिम,वंचित समाज के हित की बात सिर्फ इस कारण करता है क्योंकि इससे उन्हें "डॉलर-पाउंड"एक्टिविज्म का ग्राउंड मिलता है।उन्हें उनकी असल हालत से कोई वास्ता नहीं होता है। वे जानबूझकर कर इनकी गलत हरकतों मो भी"सही' बोलते हैं ताकि वह खुद को सुधार न सके।सुधर गए तो डॉलर गया

— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) April 2, 2020