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पूर्व जन्म के पिता की तेरहवीं में पहुंचा बेटा, पुनर्जन्म के बाद भी याद है सबकुछ कैथल। पंजाब के पटियाला का रहने वाला बीस वर्षीय चमकौर सिंह अपने पिता सुरजीत सिंह के साथ जब अपने तथाकथित पूर्व पिता के भोग (तेरहवीं) में शामिल हुआ तो लोग हैरत में पड़ गए। यह कहानी कोई फिल्मी नहीं है। 33 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मारे गए चीका शहर में रहने वाले गुरमेल सिंह की पुनर्जन्म से जुड़ी एक कथित आत्मकथा है। पुनर्जन्म का यह कथित किस्सा गुरमेल सिंह के चकमौर सिंह के रूप में पैदा होने का है। चमकौर सिंह की उम्र लगभग 20 साल है, लेकिन गुरमेल सिंह के रूप में उसकी मृत्यु करीब 33 साल पहले हुई थी। आज भी अपने पूर्व जन्म से जुड़ी एक-एक घटना याद है। कैसे हुई थी दुर्घटना - आज का चमकौर सिंह जब चीका में गुरमेल सिंह के रूप में जीवित था तब वह एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने के लिए गया था। वापसी में एक परिचित के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर चीका आ रहा था। गांव गढ़ी के पास सड़क दुर्घटना में उसकी और उसके साथी की मौत हो गई। उस समय परिजनों ने गुरमेल सिंह का संस्कार कर दिया और बात बीत गई। दिव्य आत्मा ने सहारा देकर धार्मिक स्थल पर पहुंचा दिया चमकौर सिंह बताता है कि इस घटना के बाद किसी दिव्य आत्मा ने उसे सहारा दिया और वह ऐसे स्थान पर पहुंच गया, जहां स्वर्ग जैसी सुविधाएं थी। चमकौर ने बताया कि वह स्थान एक धार्मिक स्थल जैसा था और वहां हमेशा सत्संग चलता था। वह जगह कौन सी थी इस बारे में चमकौर कुछ बताने की स्थिति में नहीं है। क्या हुआ मौत के बाद सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद चमकौर सिंह का दावा है कि वह एक ऐसे स्थान पर चला गया जिसका विवरण वह नहीं कर सका। उसे याद है कि इसके बाद उसने एक चिडिय़ा के रूप में जन्म लिया और कुछ समय बाद एक बार फिर वह सड़क दुर्घटना में ही किसी वाहन चालक द्वारा रौंद दिया गया। मनोकामना पूरी हुई : सिंह सुरजीत सिंह ने बताया कि उसके घर एक पुत्री ने जन्म लिया था, लेकिन उसके बाद आठ-नौ साल उसे कोई संतान नहीं हुई। वह एक धार्मिक स्थल में जाने लगा। वहां एक बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया कि उसकी मनोकामना पूरी होगी जिसके बाद उसके घर में चमकौर सिंह के रूप में लड़का पैदा हुआ। सुरजीत ने बताया कि जब चमकौर केवल तीन साल का था तो उसने चीका स्थित अपने परिवार के बारे में बताना शुरू कर दिया था जिसके बाद उनका चीका आना-जाना शुरू हुआ और आज वे चमकौर को लेकर उसके पूर्व पिता के भोग में शामिल हुए हैं। पूर्व जन्म के परिजनों और मित्रों से मिलकर खुश हुआ परिजनों मित्रों से मिलकर चमकौर बहुत खुश हुआ। पूर्व में गुरमेल सिंह रहा आज के चमकौर सिंह ने अपने पूर्व जन्म के भाइयों फूल सिंह पहलवान पाल सिंह से भेंट की। इसके अतिरिक्त अपने अन्य परिचितों मित्रों जिनमें टहल सिंह, चतर सिंह, राजा राम, सुच्चा सिंह, ज्ञानदे देवी, चमेली देवी, मोढ़ी देवी, बंतो गुरमेलो से मिला और अपनी पुरानी यादें ताजा की। बहरहाल लोगों के लिए 33 साल पहले मौत के आगोश में समा जाने वाला आज का चमकौर सिंह किसी अजूबे से कम नहीं है। http://www.bhaskar.com/news-fli/HAR-KAR-rebirth-of-man-join-his-prior-birth-fathers-thirteenth-day-after-death-5040214-PHO.html

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पूर्व जन्म के पिता की तेरहवीं में पहुंचा बेटा, पुनर्जन्म के बाद भी याद है सबकुछ कैथल। पंजाब के पटियाला का रहने वाला बीस वर्षीय चमकौर सिंह अपने पिता सुरजीत सिंह के साथ जब अपने तथाकथित पूर्व पिता के भोग (तेरहवीं) में शामिल हुआ तो लोग हैरत में पड़ गए। यह कहानी कोई फिल्मी नहीं है। 33 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मारे गए चीका शहर में रहने वाले गुरमेल सिंह की पुनर्जन्म से जुड़ी एक कथित आत्मकथा है। पुनर्जन्म का यह कथित किस्सा गुरमेल सिंह के चकमौर सिंह के रूप में पैदा होने का है। चमकौर सिंह की उम्र लगभग 20 साल है, लेकिन गुरमेल सिंह के रूप में उसकी मृत्यु करीब 33 साल पहले हुई थी। आज भी अपने पूर्व जन्म से जुड़ी एक-एक घटना याद है। कैसे हुई थी दुर्घटना - आज का चमकौर सिंह जब चीका में गुरमेल सिंह के रूप में जीवित था तब वह एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने के लिए गया था। वापसी में एक परिचित के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर चीका आ रहा था। गांव गढ़ी के पास सड़क दुर्घटना में उसकी और उसके साथी की मौत हो गई। उस समय परिजनों ने गुरमेल सिंह का संस्कार कर दिया और बात बीत गई। दिव्य आत्मा ने सहारा देकर धार्मिक स्थल पर पहुंचा दिया चमकौर सिंह बताता है कि इस घटना के बाद किसी दिव्य आत्मा ने उसे सहारा दिया और वह ऐसे स्थान पर पहुंच गया, जहां स्वर्ग जैसी सुविधाएं थी। चमकौर ने बताया कि वह स्थान एक धार्मिक स्थल जैसा था और वहां हमेशा सत्संग चलता था। वह जगह कौन सी थी इस बारे में चमकौर कुछ बताने की स्थिति में नहीं है। क्या हुआ मौत के बाद सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद चमकौर सिंह का दावा है कि वह एक ऐसे स्थान पर चला गया जिसका विवरण वह नहीं कर सका। उसे याद है कि इसके बाद उसने एक चिडिय़ा के रूप में जन्म लिया और कुछ समय बाद एक बार फिर वह सड़क दुर्घटना में ही किसी वाहन चालक द्वारा रौंद दिया गया। मनोकामना पूरी हुई : सिंह सुरजीत सिंह ने बताया कि उसके घर एक पुत्री ने जन्म लिया था, लेकिन उसके बाद आठ-नौ साल उसे कोई संतान नहीं हुई। वह एक धार्मिक स्थल में जाने लगा। वहां एक बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया कि उसकी मनोकामना पूरी होगी जिसके बाद उसके घर में चमकौर सिंह के रूप में लड़का पैदा हुआ। सुरजीत ने बताया कि जब चमकौर केवल तीन साल का था तो उसने चीका स्थित अपने परिवार के बारे में बताना शुरू कर दिया था जिसके बाद उनका चीका आना-जाना शुरू हुआ और आज वे चमकौर को लेकर उसके पूर्व पिता के भोग में शामिल हुए हैं। पूर्व जन्म के परिजनों और मित्रों से मिलकर खुश हुआ परिजनों मित्रों से मिलकर चमकौर बहुत खुश हुआ। पूर्व में गुरमेल सिंह रहा आज के चमकौर सिंह ने अपने पूर्व जन्म के भाइयों फूल सिंह पहलवान पाल सिंह से भेंट की। इसके अतिरिक्त अपने अन्य परिचितों मित्रों जिनमें टहल सिंह, चतर सिंह, राजा राम, सुच्चा सिंह, ज्ञानदे देवी, चमेली देवी, मोढ़ी देवी, बंतो गुरमेलो से मिला और अपनी पुरानी यादें ताजा की। बहरहाल लोगों के लिए 33 साल पहले मौत के आगोश में समा जाने वाला आज का चमकौर सिंह किसी अजूबे से कम नहीं है। http://www.bhaskar.com/news-fli/HAR-KAR-rebirth-of-man-join-his-prior-birth-fathers-thirteenth-day-after-death-5040214-PHO.html
Todu story hai.. Gurmail singh then Chidiya and then Chamkaur singh :-)
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